गतिविधियाँ

परियोजनाओं की सूची

क्रम संख्या परियोजना का नाम पीआई का नाम एवं पदनाम परियोजना अवधि परियोजना के सदस्यों का नाम निधि देने वाली संस्था
1 कृषि उपज पर चीड़, देवदार  तथा बांज वनों का प्रभाव श्री ओमकार सिंह,

भा. वा. से.

प्रमुख

2005-2008 श्री दीपक खन्ना

डा. एस. बी. सिंह

डा. निर्मल राम

श्री पी. के. गुप्ता

डा. चरन सिंह

अजय गुलाटी

भा. वा. अ. शि. प
2 गढ़वाल हिमालय में दंड श्रीरागरा में पर्यावरण बहाली और संरक्षण पहल डा. चरन सिह

वैज्ञानिक

2008-2010 हिमालयी पारिस्थितिकीय एवं पर्यावरण का जी. बी. पन्त संस्थान, अल्मोड़ा
3 वृृक्ष-उपज पारस्परिक: बातचीत फसलों पर मेलिआ एप का प्रभाव डा. चरन सिह

वैज्ञानिक

2005-2011 भा. वा. अ. शि. प.
4 औषधीय पौधों पर पॉपुलस डलोटोड्स का प्रभाव डा. चरन सिह

वैज्ञानिक

2005-2011 भा. वा. अ. शि. प.
5 पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कृृषि वानिकी की स्थिति श्रीमती जयश्री आरडे, भा. वा. से.

 

श्री संदीप कुजूर

भा. वा. से.

2012-2015 उप प.अ.

डा. चरन सिंह

 

उप प.अ.

श्री रामबीर सिंह

वैज्ञानिक-डी

भा. वा. अ. शि. प.
6 पंजाब व हरियाणा की निम्नीकृृत भूमि में मेलिया कम्पोसिटा तथा इम्बलिका आॅफीसिनलिस के साथ अन्य महत्वपूर्ण औषधीय पौधों का माॅडल विकास। श्री रामबीर सिंह

वैज्ञानिक-डी

2011-2016 डा. चरन सिह

वैज्ञानिक

भा. वा. अ. शि. प.

 

 

निम्न परियोजनाएं पूरी की गई:

  1. कुछ महत्वपूर्ण औषधीय पौधों की उत्पादकता में वृद्धि के लिए कृषि तकनीकों का विकास, मेलिया कम्पोसिटैण्ड और एमब्लिका ऑफिसिनलिंस और पंजाब और उत्तराखंड में अपमानजनक भूमि के सुधार के साथ।

 

  1. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भूमिगत और अपमानजनक भूमि में कृषि फसलों के साथ कुछ महत्वपूर्ण पेड़ प्रजातियों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि तकनीकों के विकास के लिए शुरूआत।

सम्मेलन/सेमिनार के शोध तथा विस्तार सहित वानिकी शिक्षा नेटवर्किग

 

औषधीय पौधों पर आयोजित सम्मेलनः अनुसंधान संस्थान, देहरादून में 17 मार्च, 2017 में कृृषि एवं विपणन

 

सेमिनार /संगोष्ठियां /कार्यशालाओं /प्रशिक्षणों में सहभागिता

1 डा. ए. के. पाण्डे, प्रमुख, विस्तार प्रभाग ने 17 मार्च, 2017 में व.अ.स. देहरादून में आयोजित सम्मेलन में औषधीय पौधे कृृषि एवं विपणन पर व्याख्यान दिए।

2 श्री रामबीर सिंह, वैज्ञानिक-(डी) विस्तार प्रभाग, व.अ.स. 4 से 6 मई 2016 तक भा.वा.अ.शि.प देहरादून में डिजाइन आॅफ एक्सपेरीमेन्डस पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग लिया।

3 डा. देवेन्द्र कुमार, वैज्ञानिक-डी तथा श्री रामबीर सिंह, वैज्ञानिक-डी, विस्तार प्रभाग, व.अ.स. ने सम्मेलन में सहभागिता की तथा सी.एस.एस.आर.ई, इलाहाबाद में 03.03.2017 को ‘जीवीकोपार्जन सुधार हेतु कृृषि वानिकी: एक पहल पर व्याखान दिए।

4 विस्तार प्रभाग, व.अ.स. 28 से 29 नवम्बर, 2016 को वाडिया संस्थान आॅफ हिमालयन जिओलाॅजी देहरादून में दूसरे भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान उत्सव 2016 में सहभागिता की तथा प्रदर्शनी लगाई।

विज्ञान एवं प्रबंधन केडर क्षमता निर्माण (आयोजित प्रशिक्षण)

1 उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए सिटी सैटंर फोटोगैलरी में 08.08.2016 से 12.08.2016 तक ‘‘कृृषि वानिकी एवं भू-प्रबंधन पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित हुआ।

2 उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश प्रदेश के किसानों के लिए वन अनुसंधान संस्थान देहरादून में  19.09.2016 से 23.09.2016 तक औषधीय पौधों की खेती एवं उपयोग पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया।

3 वी. वी. के. बोटनिकल गार्डन, चंडीगण में 17.10.2016-19.10.2016 तक किसानों एवं गैर सरकारी संगठनों हेतु वन विज्ञान केन्द्र के अंतर्गत औषधीय पौधों की खेती एवं उपयोग पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन।

4 हरियाणा  के किसानों तथा गैर सरकारी संगठनों हेतु वी. वी. के. पिंजौरे, हरियाणा  07.11.0216 से 09.11.2016 तक वी. वी. के अंतर्गत औषधीय पौधे आधारित कृृषि वानिकी पर एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित हुआ।

जन मीडिया के जरिए वानिकी विस्तार

1 वन अनुसंधान संस्थान, द्वारा विकसित विविध वानिकी अनुसंधान तकनीकियों पर आॅल इंडिया रेडियो (ए आर आई) ने 16 रेडियो वार्ताओं की रिकाॅर्डिग एवं प्रसारण किया।

2 व.अ.स. देहरादून द्वारा विकसित विविध वानिकी अनुसंधान तकनीकियों पर दूरदर्शन टेलीविजन 10-टेलीविजन वार्ताओें की रिकाॅर्डिग एवं प्रसारण किया।

वन विज्ञान केन्द्र तथा डेमो ग्राम

1आईसीएफआर के महानिदेशक, देहरादून अपने डी.ओ. 23 अगस्त 2007 का एडीजी (एमएंडपी) / आईसीएफआर / 61 और 26 नवंबर 2007 के बाद के अनुस्मारक ने सभी राज्य वन विभागों को यह जानकारी दी है कि कुछ समय के लिए आईसीएफआर के अनुसंधान संस्थान और केंद्र विभिन्न कृषि-पारिस्थितिक / देश के पर्यावरण-जलवायु क्षेत्रों ने अधिक उपयुक्त भूमि उपयोग के लिए कई उपयुक्त तकनीकों का विकास किया है। उनमें से कुछ पहले से ही वन समूहों और किसानों सहित उपयोगकर्ता समूहों द्वारा अपनाया गया है। हालांकि, विशेष प्रौद्योगिकी की आवश्यकता की सीमा के साथ गोद लेने का स्तर अनुरूप नहीं है इससे पता चलता है कि इस ज्ञान को जंगल विभागों और विभिन्न शोध संस्थानों / केंद्रों से उपयोगकर्ता समूह में प्रसार करने की आवश्यकता है। इसे ध्यान में रखते हुए, इसका उद्देश्य वान विज्ञान केंद्रों को सहायता के लिए / सहायता करने के लिए उपयोगकर्ता समूहों को तकनीकी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे निष्कर्षों के आधार पर उपयुक्त प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना था।

 

2 उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए आज तक वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून ने अपने अधिकार क्षेत्र के राज्यों तथा केन्द्र-शासित राज्यों में 6 वन विज्ञान केन्द्र स्थापित किए है। समझ ज्ञापन (मेमोरेंडम आॅफ अंडस्टैण्डिंग) पर अप्रैल 2007 से मार्च 2012 तक वन विज्ञान केन्द्रों के कार्यों तथा स्थापना के लिए व.अ.स. तथा संबंधित वन विभागों के मध्य हस्ताक्षर हुए हैं।

© सभी अधिकार सुरक्षित वन अनुसंधान संस्थान देहरादून
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