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अधिदेश

हम उपलब्ध पौध अनुवंशिकी संसाधनों की विशालता का अनुमान इस तथ्य से लगा सकते हैं कि विश्व में जीवित पहचानी गई 425 कुलों में से लगभग 328 कुलों के पुष्पीय पौधे हमारे उपमहाद्वीप में पाए जाते हैं जिसमें लगभग 21000 प्रजातियां समाविष्ट हैं।  अकाष्ठ वन उपज लगभग 3000 प्रजातियों से भी अधिक से प्राप्त होते हैं।  जबकि आर्थिकी में इनका योगदान अधिकाधिक अमात्रित है क्योंकि इन उत्पादों का लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्रीय जनता उपभोग कर लेती है। सम्पूर्ण अकाष्ठ वन उपजों का एकत्रण एवं उपयोग संगठित व्यावसायिक क्षेत्रों द्वारा संचालित नहीं होते हैं, बल्कि मुख्य रूप से दैनिक पूर्ति हेतु व्यक्तिगत उद्योग धन्धों से होता था। जिसकी वजह से इनका आर्थिक योगदान एवं वैज्ञानिक प्रबन्धन को पूर्व में बहुत ज्यादा महत्व नही मिल सका।  हम उपलब्ध पौध अनुवंशिकी संसाधनों की विशालता का अनुमान इस तथ्य से लगा सकते हैं कि विश्व में जीवित पहचानी गई 425 कुलों में से लगभग 328 कुलों के पुष्पीय पौधे हमारे उपमहाद्वीप में पाए जाते हैं जिसमें लगभग 21000 प्रजातियां समाविष्ट हैं।  अकाष्ठ वन उपज लगभग 3000 प्रजातियों से भी अधिक से प्राप्त होते हैं।  जबकि आर्थिकी में इनका योगदान अधिकाधिक अमात्रित है क्योंकि इन उत्पादों का लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्रीय जनता उपभोग कर लेती है। सम्पूर्ण अकाष्ठ वन उपजों का एकत्रण एवं उपयोग संगठित व्यावसायिक क्षेत्रों द्वारा संचालित नहीं होते हैं, बल्कि मुख्य रूप से दैनिक पूर्ति हेतु व्यक्तिगत उद्योग धन्धों से होता था। जिसकी वजह से इनका आर्थिक योगदान एवं वैज्ञानिक प्रबन्धन को पूर्व में बहुत ज्यादा महत्व नही मिल सका।  अकाष्ठ वन उपज प्रभाग औषधीय, सुगंधित एवं विषैले पौधों पर विविध पहलुओं जैसे कि उनका वितरण, उपलब्धता, संकलन तथा विदोहन के तरीके, व्यापार का विस्तार, माँग के स्रोत, अपमिश्रण, श्रेणीकरण, विपणन इत्यादि में वैज्ञानिक अनुसंधान करता आया है एवं वर्तमान में कर रहा है।  यह प्रभाग हितधारकों को  देश और विदेशी बाजारों के व्यापार और उद्योग-धन्धों हेतु मानक गुणवत्ता के कच्चे माल की आपूर्ति एवं उनके उपयोग के सुधार तरीकों के सुझाव प्रदान करता है।  आवश्यकता आधारित तथा गुणवत्ता नीति और संस्थान की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए अकाष्ठ वन उपज प्रभाग की परिकल्पना निम्नलिखित हैः-

अ. अकाष्ठ वन उत्पाद संरक्षण, विकास और संसाधनों के स्थाई प्रर्वधन हेतु ज्ञान की उत्पत्ति एवं प्रचार-प्रसार ।

ब.  गुणवत्ता उत्पाद एवं सेवाओं के समय पर वितरण के जरिए ग्राहक संतुष्टि।

स. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं प्रशिक्षण के जरिए मानव संसाधनों का विकास।

अकाष्ठ वन उपज प्रभाग निम्न रणनीतियों ( वर्तमान एवं भविष्य दोनों ) पर निरंतर प्रयासों की योजना बना रहा है: अकाष्ठ वन उपज प्रभाग निम्न रणनीतियों ( वर्तमान एवं भविष्य दोनों ) पर निरंतर प्रयासों की योजना बना रहा है:

1. अकाष्ठ वन उपज प्रभाग संसाधनों का आविष्करण एवं प्रलेखन: वह संसाधन जो व्यावसायिक रूप से उपयोगी हैं और इसके संसाधन आधार पर अधिक विदोहन के परिणामों के परीक्षण में भी यह सहायता करता है।

2. संभावित उत्पादन सर्वेक्षण, मांग एवं आपूर्ति स्तर, बाजार मूल्य, प्रवणता एवं परिदृश्य  तथा इसके अनुसार योजना शोध।

3. प्रजातियों की पुर्नउत्पत्ति एवं सहचारी, जैविक दबाव, उपज की स्थिति एव ंजैव विविधता एवं समाधान हेतु सुझाव पर वर्तमान अकाष्ठ वन उपज सार प्रणालियों के प्रभावों का अध्ययन।

4. औषधीय एवं सुगंधित पौधों एवं सभी महत्वपूर्ण अकाष्ठ वन उत्पादों के प्रवर्धन कार्यों का मानकीकरण।

5. भावी पीड़ियों के उपयोग हेतु विभिन्न राज्यों या क्षेत्रों के दुर्लभ संकटग्रस्त एवं विलुप्त होती हुई अकाष्ठ वन उपज प्रजातियों को इन-सितू एवं एक्स-सितू जर्मोप्लाज्म बैंकों की स्थापना।

6. निम्न के जरिए अकाष्ठ वन उत्पादों के गुणात्मक एवं मात्रात्मक उत्पादन के अनुकूलन तरीके:पण् अनुत्पादित रिक्त खण्डों एवं निम्नीकृत वन क्षेत्रों वनों के बहुस्तरीय एवं बहु उपयोगी उत्पादों इत्यादि के उपचार हेतु नई तकनीकी निवेश। पपण् संवर्धन, सांस्कृतिक प्रक्रियाएं एवं सूत्र परीक्षण। पपपण् सतत् कटाई तरीकों, उपज विधियों एवं मूल्य वर्धित प्रयोग।
7. वन विभागों, विशेष रूप से जनजातियों के औद्योगिक एवं आर्थिक उत्थान हेतु अकाष्ठ वन उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए तकनीकों एवं शिक्षा का विस्तार।

8. अकाष्ठ वन उपजों के प्रयोग, विश्लेषण एवं गुणवत्ता, अकाष्ठ वन उपजों के गुणवत्ता युक्त पौधों, भण्डार आवश्यकताओं हेतु एक आधुनिक प्रयोगशाला के रूप में स्थापित करना।

9. अकाष्ठ वन उत्पादों के संदर्भ में ज्ञान के प्रचार-प्रसार हेतु जड़ी-बूटी ज्ञान केन्द्रों की स्थापना।

10. अकाष्ठ वन उत्पादों के उपयोगों एवं मूल्यवर्धन हेतु तकनीकों का विकास।

11. संस्थागत संयोजन के द्वारा देश में अकाष्ठ वन उत्पादों के क्षेत्र में अकाष्ठ वन उपज प्रभाग को उत्कृष्टता का केन्द्र बनाने के लिए प्रयास करना।

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