विस्तार प्रभाग, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद – वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून द्वारा 27 से 29 अक्टूबर, 2025 तक किसानों एवं अन्य हितधारकों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम “औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती और उपयोग” विषय पर कृषिविज्ञान केंद्र, ढकरानी (जिला देहरादून, उत्तराखंड) में आयोजित किया गया।
प्रशिक्षण का शुभारंभ 27 अक्टूबर, 2025 को हुआ, जिसमें वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के विस्तार प्रभाग की टीम ने विषय विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया, कार्यक्रम का परिचय दिया और प्रशिक्षण की रूपरेखा प्रस्तुत की।
प्रशिक्षण के दौरान औषधीय एवं सुगंधित पौधों के विभिन्न पहलुओं पर तकनीकी जानकारी व्याख्यानों एवं क्षेत्र भ्रमण के माध्यम से दी गई। प्रशिक्षण का मुख्य फोकस औषधीय एवं सुगंधित पौधों आधारित कृषि वानिकी द्वारा आय सृजन, उत्तराखंड में इन पौधों की संभावनाएं, औषधीय एवं खाद्य मशरूम के उत्पादन की विधियाँ, औषदीय एवं सगंध पौधों की खेती हेतु मृदा उपयुक्तता, जंगली खाद्य पौधों एवं फलों का औषधीय महत्व, प्रमुख औषधीय एवं सुगंधित पौधों की कृषि पद्धति, उत्पादों के संकलन व विपणन में किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) की भूमिका, बीज एवं नर्सरी तकनीक, माइकोराइजा आधारित जैव उर्वरक का निर्माण व उपयोग आदि विषयों पर केंद्रित रहा।
प्रतिभागियों के लिए सगंध पौधा केंद्र, सेलाकुई (जिला देहरादून, उत्तराखंड) का क्षेत्र भ्रमण भी आयोजित किया गया, जहाँ केंद्र के विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को इन पौधों के जीवंत प्रदर्शन के माध्यम से जानकारी दी जिसके द्वारा प्रतिभागियों ने लेमन ग्रास, सिट्रोनेला, तुलसी, खस-खस, बेला, जूही, गुलाब, बच, नागरमोथा, ज्वारन कुशा, भंजीरा, स्टीविया, पुदीना, अगर आदि अनेक सुगंधित पौधों के बारे में जानकारी प्राप्त की।
प्रतिभागियों ने केंद्र की आसवन (डिस्टिलेशन) इकाइयों का भी भ्रमण किया और आवश्यक तेलों की प्राप्ति की प्रक्रिया को जाना। साथ ही, उन्होंने कृषिविज्ञान केंद्र ढकरानी के खेतों का भ्रमण किया जहाँ खेत की मेड़ पर फलधारक अवस्था में सुधरी हुई आंवला किस्म का प्रदर्शन किया गया था।
प्रशिक्षण का समापन 29 अक्टूबर, 2025 को प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया प्राप्त करने, उनके विचार साझा करने तथा प्रमाण पत्र वितरण के साथ हुआ। इस प्रशिक्षण में कुल 35 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
प्रभाग प्रमुख, विस्तार प्रभाग के समग्र मार्ग दर्शन में कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्थान के वैज्ञानिक डा. चरण सिंह, श्री रामबीर सिंहव श्री लोकेन्द्र शर्मा तथा सहायक स्टाफ श्री नवीन चौहान तकनीकी सहायक एवं श्री पुष्कर सिंह, तकनीशियन तथा कृषिविज्ञान केंद्र, ढकरानी के प्रभारी अधिकारी एवं प्रोफेसर डा. ए. शर्मा एवं उनकी टीम का सक्रिय सहयोग सराहनीय रहा।





